फाइल फोटोः संसदीय समिति ने ‘कोविड-19 महामारी का प्रकोप और इसका प्रबंधन’ की रिपोर्ट सौंपी
रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने महसूस किया कि देश के सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या कोविड (Covid-19) और गैर-कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या के लिहाज से पर्याप्त नहीं थी.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 21, 2020, 7:52 PM IST
स्वास्थ्य संबंधी स्थायी संसदीय समिति के अध्यक्ष राम गोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) ने राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) को ‘कोविड-19 महामारी का प्रकोप और इसका प्रबंधन’ की रिपोर्ट सौंपी.
सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने के संबंध में यह किसी भी संसदीय समिति की पहली रिपोर्ट है. समिति ने कहा कि 1.3 अरब की आबादी वाले देश में स्वास्थ्य पर खर्च “बेहद कम है” और भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की नाजुकता के कारण महामारी से प्रभावी तरीके से मुकाबला करने में एक बड़ी बाधा आई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसलिए समिति सरकार से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में अपने निवेश को बढ़ाने की अनुशंसा करती है. समिति ने सरकार से कहा कि दो साल के भीतर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 प्रतिशत तक के खर्च के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करें, क्योंकि वर्ष 2025 के निर्धारित समय अभी दूर हैं और उस समय तक सार्वजनिक स्वास्थ्य को जोखिम में नहीं रखा जा सकता है.पढ़ेंः Coronavirus: डॉक्टरों की चेतावनी, इन हालातों में कतई न हो प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में 2025 तक जीडीपी का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी खर्च का लक्ष्य रखा गया है, जो 2017 में 1.15 प्रतिशत था.
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समिति ने कहा कि यह महसूस किया गया कि देश के सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या कोविड और गैर-कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या के लिहाज से पर्याप्त नहीं थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी अस्पतालों में कोविड के इलाज के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों के अभाव के कारण मरीजों को अत्यधिक शुल्क देना पड़ा.
समिति ने जोर दिया कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और महामारी के मद्देनजर सरकारी और निजी अस्पतालों के बीच बेहतर साझेदारी की जरूरत है. समिति ने कहा कि जिन डॉक्टरों ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान दे दी, उन्हें शहीद के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और उनके परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.